Mansi savita

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लेखनी कहानी -13-Jan-2023

 कदम कदम पर मिले मुसाफिर इश्क बेताबी एक से हो
भटक गए तुम राह जो त्यागी देखो लो जी कर ली बर्बादी
इश्क मुकम्मल दिल से वारी प्यार में पड़कर सब कुछ हारी
तोड़ दिया जज्बात वो मेरे दिल को धड़कन अब भी जारी
मौत को दोस्त बना कर मैने खुद के कदम बढ़ाए आगे 
परछाई ने मेरी मुझको जकड़ लिया मैं फिर से हारी
अनुभव से झेली मैं सब खुद चलने की कर ली तैयारी
गिरकर संभली रोई,टूटी,बन गई देखो मेरी रातें काली
वक्त बिता संभाल लिया मुझे एक जीवन साथी यार मिला
मेरे गम को अपना मान लिया मुझे एक सफलता की राह दिखा
कामयाबी की जुनून देखो अब मेरे फितरत में गूंज रहा
सफलता की मंजिल थाम जश्न भी मनाना है
जिसने औरो सा कहा उसको खुद की पहचान बताना है 




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